कृषि
मिट्टी
इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी पैदावार और अच्छी उपज के लिए अच्छे निकास वाली, गहरी रेतली दोमट मिट्टी जिसकी पी एच 7-8 हो, उचित रहती है। जिस मिट्टी की 2 मीटर नीचे तक सतह सख्त हो, उन मिट्टी में उगाने से परहेज़ करें। क्षारीय और नमक वाली मिट्टी भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है लेकिन इनमें खजूर की कम पैदावार होती है।
प्रसिद्ध किस्में और पैदावार
ज़मीन की तैयारी
मिट्टी के भुरभुरा होने तक खेत की दो से तीन बार जोताई करें। मिट्टी के समतल होने के बाद, गर्मियों में 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर आकार के गड्ढे खोदें। इन गड्ढों को दो सप्ताह के लिए खुला रखें। उसके बाद अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर और उपजाऊ मिट्टी से गड्ढों को भरें। क्लोरपाइरीफॉस 50मि.ली. या फोरेट 10 जी, 200 ग्राम और कप्तान 20-25 ग्राम प्रत्येक गड्ढे में डालें।
बिजाई
बीज
प्रजनन
खजूर का प्रजनन जड़ के भाग की सहायता से किया जाता है। मुख्य पौधे से जड़ के भाग या टहनी को लें। रोपाई के 4 या 5 साल बाद पौधे के वनस्पतिक भाग प्राप्त होते हैं। वनस्पतिक भाग का उचित भार 15-20 किलोग्राम होना चाहिए। जड़ के भाग को मुख्य पौधे से अलग करने से छ: महीने या साल पहले अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर, रेत और लकड़ी का बुरादा जड़ के आस-पास डालें। अलग करने के समय पुराने पत्तों को निकाल दें और एक कट लें।
अंतर-फसलें
पहली कटाई के लिए, 4 से 5 वर्ष आवश्यक होते हैं। इनके बीच ग्वार, धान, मिर्च, मटर, बैंगन आदि को अंतरफसली के तौर पर लिया जा सकता है।
खाद
सितंबर से अक्तूबर महीने में अच्छी तरह से गली हुई रूड़ी की खाद 10-15 किलो प्रौढ़ पौधों पर डालें और 30-40 किलो प्रति पके हुए पौधों में डालें। 1 वर्षीय से लेकर पके हुए वृक्ष में 4.4 किलो यूरिया डालें। यूरिया को दो भागों में बांटकर, पहली मात्रा को फूल निकलने से पहले और बाकी की मात्रा को अप्रैल महीने में फल बनने के बाद डालें।
खरपतवार नियंत्रण
खेत को साफ और नदीन मुक्त रखें। नदीनों की तीव्रता के आधार पर निराई और गोडाई करें। नदीनों की रोकथाम के लिए मल्च का प्रयोग करें।
सिंचाई
गर्मियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें, जबकि सर्दियों में 30-40 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। पहली सिंचाई पराग निकलने के बाद करें। फल निकलने के बाद नियमित अंतराल पर सिंचाई करें।
पौधे की देखभाल
- हानिकारक कीट और रोकथाम
छोटे मुंह वाला पतंगा : इससे बचाव के लिए डेल्टामैथरीन 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 दिनों के अंतराल पर दो स्प्रे करें। फल निकलने के समय पहली स्प्रे करें।
- बीमारियां और रोकथाम
फसल की कटाई
रोपाई के चार से पांच साल बाद, खजूर का वृक्ष पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है। फल की तुड़ाई की तीन अवस्थाएं होती हैं पहली, जब फल पकने की अवस्था में होते हैं।जब फल ताजे होते हैं। दूसरी, जब फल नर्म और पके हुए होते हैं और तीसरी सूखी अवस्था जब फल सूख (छुहारा) जाते हैं। मॉनसून का मौसम शुरू होने से पहले तुड़ाई पूरी कर लें।
कटाई के बाद
फल पकने की अवस्था में तुड़ाई के बाद फलों को साफ पानी से धोयें। छुहारा बनाने के उद्देश्य के लिए इन्हें धूप में सूखाया जाता है या ड्रायर से 40-45 डिगरी सैल्सियस के तापमान पर 80-120 घंटों के लिए सुखाएं।