आम जानकारी
जौं गेहूं और धान के बाद एक महत्तवपूर्ण अनाज की फसल है। भारत में यह फसल गर्म इलाकों में होती है और ठंडे मौसम में इसकी बिजाई होती है। भारत में इसे रबी के मौसम में उगाया जाता है। जौं कम पानी में भी ज्यादा उपज देती है।
जौं गेहूं और धान के बाद एक महत्तवपूर्ण अनाज की फसल है। भारत में यह फसल गर्म इलाकों में होती है और ठंडे मौसम में इसकी बिजाई होती है। भारत में इसे रबी के मौसम में उगाया जाता है। जौं कम पानी में भी ज्यादा उपज देती है।
यह फसल हल्की ज़मीनों जैसे कि रेतली और कल्लर वाली ज़मीनों में भी कामयाबी से उगाई जा सकती है। इसलिए उपजाऊ ज़मीनों और भारी से दरमियानी मिट्टी इसकी अच्छी पैदावार के लिए सहायक होती हैं। तेजाबी मिट्टी में इसकी पैदावार नहीं की जा सकती।
खादें (किलोग्राम प्रति एकड़)
UREA | SSP | MURIATE OF POTASH |
55 | 75 | 10 |
तत्व (किलोग्राम प्रति एकड़)
NITROGEN | PHOSPHORUS | POTASH |
25 | 12 | 6 |
नाइट्रोजन 25 किलो (55 किलो युरिया), फासफोरस 12 किलो (75 किलो सिंगल सुपर फासफेट) और पोटाश 6 किलो (10 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश) की मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बिजाई के समय और नाइट्रोजन की मात्रा पहले पानी लगाने के समय डालें।
जौं को 2-3 पानी की जरूरत पड़ती है। पानी की कमी होने से बालियां बनने के समय पैदावार पर बुरा असर पड़ता है। अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी में 50 प्रतिशत की नमी होनी चाहिए। पहला पानी बिजाई के समय 20-25 दिनों के बाद लगाएं। बालियां आने पर दूसरा पानी लगाएं।
फसल किस्म के अनुसार मार्च के आखिर और अप्रैल में पक जाती है। फसल को ज्यादा पकने से बचाने के लिए समय के अनुसार कटाई करें। फसल में 25-30 प्रतिशत नमी होने पर फसल की कटाई करें। कटाई के लिए दांतों वाली दरांती का प्रयाग करें। कटाई के बाद बीजों को सूखे स्थान पर स्टोर करें।
जौं सिरका और शराब बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
1.Punjab Agricultural University Ludhiana
2.Department of Agriculture
3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi
4.Indian Institute of Wheat and Barley Research
5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare
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