बरसीम की खेती

आम जानकारी

बरसीम एक जल्दी बढ़ने वाली और अधिक गुणवत्ता वाली पशुओं के चारे की फसल है। इसके फूल पीले-सफेद रंग के होते हैं। बरसीम अकेले या अन्य मसाले वाली फसलों के साथ उगाई जाती है। इसे अच्छी गुणवत्ता वाला आचार बनाने के लिए रायी घास या जई के साथ भी मिलाया जा सकता है।

जलवायु

  • Season

    Temperature

    15°C - 27°C
  • Season

    Sowing Temperature

    25-27°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    15-20°C
  • Season

    Rainfall

    550-750 mm
  • Season

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    15°C - 27°C
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    Sowing Temperature

    25-27°C
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    15-20°C
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    550-750 mm
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    550-750 mm

मिट्टी

यह दरमियानी से भारी जमीनों में उगने वाली फसल है परंतु हल्की दोमट जमीनों में इसे लगातार पानी देना पड़ता है। यह मिट्टी की उपजाऊ शक्ति, भौतिक और रासायनिक क्रिया को सुधारती है।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

BL 1: यह जल्दी उगने वाली दरमियानी किस्म है। इसका बूटा बढ़िया  होता है, जो मई के अंतिम सप्ताह तक भी हरा चारा देता है। इसका हरा चारा 380 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।

BL 10 (1983): यह लंबे समय वाली किस्म है और मध्य जून तक हरा चारा देती है। इसका बीज छोटा होता है। यह तना गलन को सहनेयोग्य किस्म है। इसमें पोषण की उच्च मात्रा और स्वैच्छिक अंतर्ग्रहण की गुणवत्ता होती है। यह प्रति एकड़ लगभग 410 क्विंटल हरा चारा देती है। जून के अंतिम सप्ताह तक इसके बीज की फसल पक जाती है।

BL 42 (2003): यह तेजी से बढ़ने वाली किस्म है जो प्रति इकाई क्षेत्र के हिसाब से अच्छा जमाव होता है। यह तना गलन रोग के लिए प्रतिरोधी है। इसमें पोषण की उच्च मात्रा मौजूद होती है। यह किस्म जून के पहले सप्ताह तक लगभग 440 क्विंटल प्रति एकड़ हरा चारा देती है और उच्च बीज उत्पादन मिलता है।

BL 43 (2017): यह एक लंबी और तेजी से बढ़ने वाली किस्म है जिसमें अधिक संख्या में टिलर होते हैं। इसके हरे चारे की जून के पहले सप्ताह तक औसतन पैदावार 390 क्विंटल प्रति एकड़ होती है और उच्च बीज उपज पैदा करती है।

BL 44 (2021): यह किस्म तेजी से बढ़ने वाली और इसमें ज़्यादा मात्रा में टिलर होते हैं। यह तना सड़न रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। यह विशेष रूप से विट्रो में शुष्क पदार्थ पाचनशक्ति के संदर्भ में बहुत बढ़िया पोषण गुणवत्ता रखता है। यह किस्म का प्रति एकड़ 395 क्विंटल हरा चारा होता है और जून के पहले सप्ताह तक हरे चारे की आपूर्ति करती है।

Mescavi: यह किस्म मिस्र से आई है और इसके बाद एचएयू, हिसार में इसका चयन किया गया है। भारत के सभी बरसीम उगाने वाले क्षेत्रों विशेषकर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह खेती के लिए अनुकूल है। इसके पौधे झाड़ीदार होते हैं और अधिक जमाव के साथ 45-75 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक सीधे बढ़ते हैं।

Bundel Berseem-2 (JHB-146) (1997): यह एक स्वदेशी किस्म है इसका नंबर 25776 है। इसका पौधा सीधा, सफेद फूलों वाला और 55-60 सेंटीमीटर ऊँचा होता है। इससे 360-400 क्विंटल प्रति एकड़ हरे चारे की उपज मिलती है। यह जड़ सड़न, तना सड़न और अन्य प्रमुख कीटों के लिए भी प्रतिरोधी है।

Bundel Berseem 3 (JHTB-96-4) (2000): यह टेट्राप्लोइड किस्म है। इस किस्म में पौधा सीधा, 50 सें.मी. लंबा, तेज़ी से बढ़ना, उच्च पुनर्जनन क्षमता वाला और हरे से गहरे हरे पत्ते वाला होता है। इसके हरे चारे की उपज 240 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म तना सड़न और जड़ सड़न रोगों के लिए मध्यम प्रतिरोधी और पत्तों के धब्बा रोग के प्रति प्रतिरोधक है।

Wardan (S-99-1) (1981): यह किस्म सूचि की संख्या नंबर 526 से चयन की गयी है। इसके पौधे की ऊंचाई 45-70 सेंटीमीटर और हरे से गहरे हरे रंग के तने के साथ वार्षिक होती है। पत्तियां अंडाकार और आकार में काफी बड़ी होती हैं। इससे औसतन 250-280 क्विंटल प्रति एकड़ हरा चारा मिलता है। यह किस्म खेत की परिस्थितियों में बैक्टीरियल विल्ट और अन्य रोगों को सहनेयोग्य है।

अन्य राज्यों की किस्में 

BL 22: यह किस्म पी ए यू, लुधियाणा की तरफ से बनाई गई है और यह शुष्क और पहाड़ी क्षेत्रों में उगाई जाती है। 

HFB 600: यह किसम सी सी एस, हिसार की तरफ से तैयार की गई है और यह उपजाऊ क्षेत्रों में उगाई जाती है।

BL 180: यह किस्म पी ए यू, लुधियाणा की तरफ से बनाई गई है और यह उपजाऊ क्षेत्रों में उगाई जाती है।

ज़मीन की तैयारी

बिजाई के लिए ज़मीन समतल होनी चाहिए। फसल के विकास के लिए ज़मीन में पानी ज्यादा देर खड़ा नहीं रहने देना चाहिए। प्रत्येक जोताई के बाद सुहागा फेरना चाहिए।

बिजाई

बिजाई का समय 
सितंबर के आखिरी हफ्ते से लेकर अक्तूबर का पहला हफ्ता बिजाई के लिए सही समय है।
 
फासला
छींटे द्वारा बिजाई की जाती है।
 
बीज की गहराई
यह मौसम के हालातों पर निर्भर करती है। बीज की गहराई 4-5 सैं.मी. होनी चाहिए। इसकी बिजाई शाम के समय करनी चाहिए।
 
बिजाई का ढंग
बरसीम की बिजाई छींटे द्वारा की जाती है।
 

बीज

बीज की मात्रा
बीज नदीन रहित होने चाहिए। बीजने से पहले बीजों को पानी में भिगो देना चाहिए और जो बीज पानी के ऊपर तैरने लग जाये उन्हें निकाल दें। बीज की मात्रा 8-10 किलो प्रति एकड़ होनी चाहिए। अच्छी गुणवत्ता के चारे के लिए बरसीम के बीजों के साथ सरसों के 750 ग्राम बीज में मिलायें।
 
बीज का उपचार
बिजाई से पहले बीज का उपचार राइज़ोबियम से कर लेना चाहिए। बिजाई से पहले राइज़ोबियम के एक पैकेट में 10 प्रतिशत गुड़ मिलाकर घोल तैयार कर लेना चाहिए। फिर इस घोल को बीज के ऊपर छिड़क देना चाहिए और बाद में बीज को छांव में सुखा देना चाहिए।
 

 

खाद

खादें (किलो प्रति एकड़)

UREA SSP MURIATE OF POTASH ZINC
22 185 # #

 

तत्व (किलो प्रति एकड़)

NITROGEN PHOSPHORUS POTASH
10 30 #

 

बिजाई के समय नाइट्रोजन, फासफोरस 10:30 किलोग्राम (यूरिया 22 किलोग्राम और सुपरफास्फेट 185 किलोग्राम) प्रति एकड़ में प्रयोग करें।

 

 

खरपतवार नियंत्रण

बुई बरसीम का खतरनाक नदीन है। इसकी रोकथाम के लिए फलूक्लोरालिन 400 मि.ली. को प्रति 200 ली. पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।

सिंचाई

पहला पानी हल्की ज़मीनों में 3-5 दिनों में और भारी जमीनों में 6-8 दिनों के बाद लगाएं। सर्दियों में 10-15 दिनों के फासले पर और गर्मियों में 8-10 दिनों के फासले पर पानी लगाएं।

पौधे की देखभाल

घास का टिड्डा
  • हानिकारक कीट और रोकथाम
घास का टिड्डा - यह कीट पत्तों को खाकर फसल को नुकसान पहुंचाता है। यह ज्यादातर मई जून के महीने में हमला करता है। इस की रोकथाम के लिए 500 मि.ली. मैलाथियान 50 ई.सी. को 80-100 ली. पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें। छिड़काव के बाद 7 दिनों तक पशुओं के लिए प्रयोग ना करें।
 

चने के सूण्डी

चने के सूण्डी - यह फसल के दानों को खाती है। इसकी रोकथाम के लिए, फसल को टमाटर, चने और पिछेती गेहूं के नजदीक ना बोयें। इसकी रोकथाम के लिए क्लोरैनट्रानीलिप्रोल 18.5 एस सी 50 मि.ली. या स्पिनोसैड 48 एस सी 60 मि.ली. को 80-100 पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

तने का गलना
  • बीमारियां और रोकथाम
तने का गलना - यह मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारी है। इसके कारण ज़मीनी स्तर के नज़दीक का तना गल जाता है। मिट्टी के नजदीक सफेद रंग की फंगस विकसित होती देखी जा सकती है।
 
प्रभावित पौधों को निकालें और नष्ट कर दें। कार्बेनडाज़िम 400 ग्राम को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।
 
 

 

फसल की कटाई

फसल बीजों के 50 दिनों के बाद कटाई के योग्य हो जाती है। सर्दियों में 40 दिनों के फासले और बसंत में 30 दिनों के फासले पर कटाई करें। पशुओं के लिए आचार बनाने के इसे 20 प्रतिशत मक्की में मिलाकर तैयार किया जाता है।

रेफरेन्स

1.Punjab Agricultural University Ludhiana

2.Department of Agriculture

3.Indian Agricultural Research Instittute, New Delhi

4.Indian Institute of Wheat and Barley Research

5.Ministry of Agriculture & Farmers Welfare