भारत में लूसर्न की फसल

आम जानकारी

जलवायु

  • Season

    Temperature

    15-32°C
  • Season

    Rainfall

    350-400mm
    400-500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    15-20°C
  • Season

    Temperature

    15-32°C
  • Season

    Rainfall

    350-400mm
    400-500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    15-20°C
  • Season

    Temperature

    15-32°C
  • Season

    Rainfall

    350-400mm
    400-500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    15-20°C
  • Season

    Temperature

    15-32°C
  • Season

    Rainfall

    350-400mm
    400-500mm
  • Season

    Sowing Temperature

    28-32°C
  • Season

    Harvesting Temperature

    15-20°C

मिट्टी

इसे विभिन्न प्रकार की मिट्टी की किस्मों में उगाया जा सकता है पर यह गहरी और अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी में अच्छी पैदावार देती है। पानी रोकने वाली, खारी और भारी मिट्टी में इसकी खेती करने से परहेज़ करें।

प्रसिद्ध किस्में और पैदावार

ज़मीन की तैयारी

खेत की पूरी तरह से तैयारी और बीज बैड समतल करें। खेत की एक बार तवियों से और तीन बार हल से जोताई करें। प्रत्येक जोताई के बाद सुहागे से खेत को समतल कर लें।

बिजाई

बीज

बीज का मात्रा
एक एकड़ खेत में 6 से 8 किलो बीजों का प्रयोग करें।
 

खाद

खरपतवार नियंत्रण

खेत को नदीन मुक्त रखें। बिजाई के एक महीने तक खेत की गोडाई करते रहें। बरसात के मौसम में यदि नदीनों का हमला ज्यादा दिखे तो नदीन उगने की क्षमता के अनुसार खेत की दो बार गोडाई करें।

सिंचाई

बिजाई के एक महीने बाद मिट्टी की किस्म और जलवायु के अनुसार पहली सिंचाई करें और बाकी की सिंचाई 15-30 दिनों के अंतराल पर करें। बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।

पौधे की देखभाल

सुंडी, तेला और कीट
सुंडी, तेला और कीट : यदि इसका हमला दिखे तो हैक्साविन 50 डब्लयु पी 450 ग्राम और मैलाथियॉन 50 ई सी 400 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ स्प्रे में करें।
 
पत्तों पर धब्बे

पत्तों पर धब्बे : यह ज्यादातर उत्तर और केंद्रीय भारत में पाया जाता है। इससे प्रभावित पौधे पीले पड़ जाते हैं और पत्ते गिर जाते हैं। यदि इसका हमला दिखे तो मैनकोजेब (डाइथेन एम 45) या क्लोरोथैलोनिल 300 ग्राम को 150 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें।

फसल की कटाई

बिजाई के 75 दिनों के बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है और बाकी की कटाई 30-40 दिनों के अंतराल पर करें।

कटाई के बाद

बीज उत्पादन के लिए फसल की कटाई मार्च के मध्य में करनी चाहिए। जब फूल पूरी तरह विकसित हो जाएं तो सिंचाई बंद कर देनी चाहिए इससे अच्छी उपज में सहायता मिलती है। जब फली पूरी तरह सूख जाये तो तुरंत कटाई करें ताकि फलियों को झड़ने से रोका जा सके। एक एकड़ में 75-100 किलोग्राम बीज प्राप्त किए जा सकते हैं।

रेफरेन्स